भारत के प्रधानमन्त्री विश्व से आये योगियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुए रूबरू

योगी-मोदी, आई लव मोदी के नारों से गुंजायमान हुआ परमार्थ गंगा तट

व्यक्ति से समष्ठि तक, मैं से हम तक, अंह से वयं तक का भाव विस्तार ही योग – माननीय नरेंद्र मोदी

योग करो, रोज करो, मौज करो – स्वामी चिदानंद सरस्वती

ऋषिकेश, 2 मार्च । परमार्थ निकेतन ऋषिकेश, आयुष मंत्रालय – भारत सर्कार, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड, एवं गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 29 वे. वार्षिक विश्व विख्यात अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन की कक्षाएं प्रातः 4 बजे से सांय 9:30 बजे तक संचालित हुयी । 70 से अधिक पूज्य संतों, योगाचार्यों एवं योग विशेषज्ञों द्वारा योग विद्या के 150 विभिन्न आयामों का अभ्यास कराया गया । जिसमें प्रमुख रूप से कुंडलिनी योग, पारम्परिक हठ योग, सूर्य नमस्कार, सूफी ध्यान, सोमेटिक चिकित्सा, आध्यात्मिक संवाद योग एवं पर्यावरण को संयुक्त कर बाहर और भीतर की स्वच्छता पर प्रकाश डाला गया ।

आज दोपहर के विशेष योग सत्र में भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी विश्व के सातों महाद्वीपों से आये योगाचार्यों एवं योग जिज्ञासुओं से वीडियों कांफ्रेंस के माध्यम से रुबबरू हुए । उन्होंने सभी संतों, आचार्यों एवं सभी को प्रणाम करते हुए कहा कि मैं अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव से जुड़कर प्रसन्नता महसूस कर रहा हूँ । उन्होंने कहा कि ऋषिकेश से बेहतर देश में कोई दूसरा स्थान अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव हेतु उपयुक्त नहीं हो सकता । एक स्थान है जहा संत, महात्मा और साडी दुनिया से योगी आते है योग के लिए वह है माँ गंगा का तट । महान विचारक मैक्समूलर ने कहा था कि भारत ही ऐसा देश है जहा सबसे ज्यादा मस्तिष्क का विकास हो सकता है और मानसिक समस्याओं का समाधान भी वहीँ मिलता है । सबसे सफल व्यक्ति जिन्हें आत्मा साक्षात्कार हुआ वह भी सब भारत में ही संभव हो पाया । उन्होंने कहा योग व्यक्तियों को जोड़ने का विधान है; परिवार, समाज, अपने साथी के साथ एकता ही योग है । व्यक्ति से समष्ठि तक, मैं से हम तक, अंह से वयं तक का भाव विस्तार ही योग है । यह शक्ति आत्मा एवं मन की भावना तक की यात्रा है । योग को मात्र, शरीर को चुस्त रखने तक सिमित रखना उचित नहीं है योग से शांति, सांत्वना, संतोष एवं करुणा भी प्राप्त होता है । उन्होंने कहा विश्व आज दो मुख्या समस्याओं का सामना कर रहा है अंतर्वेद एवं जलवायु परिवर्तन । इसके लिए दुनिया भारत की ओर; योग की ओर शाश्वत समाधान पाने के लिए देख रही है । उन्होंने पूज्य स्वामी के प्रयासों से निर्मित हिन्दू धर्म विश्वकोश को विश्व की अमूल्य धरोहर और विश्व की बड़ी उपलब्धि बताया और कहा जब इसका अनुवाद विश्व की दूसरी भाषाओँ  में होगा तो देश में जागरूकता का व्यापक प्रसार होगा । संस्कृति के प्रति समझ व सहयोग बढ़ेगा । पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज के निर्देशन एवं संरक्षण में परमार्थ निकेतन द्वारा किये जा रहे स्वच्छता, जल एवं नदी संरक्षण तथा हरितिमा संवर्धन को कार्यो की भी उन्होंने प्रसंशा की और कहा कि साड़ी दुनिया के लोगों को योग से जोड़ने का कार्य भी परमार्थ निकेतन ने किया है पूज्य स्वामी जी ने लोगों के जीवन में योग को उतारा है यह सामान्य बात नहीं है ।

इस अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा, ‘हम आशा करते है कि आगामी अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में माननीय नरेंद्र मोदी जी स्वयं हमारे साथ होंगे । उन्होंने प्रधानमन्त्री जी को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह उनके ही प्रयासों का प्रतिफल है कि आज योग विश्व में आधिकारिक रूप से प्रतिष्ठत है । उन्होंने सभी से आहृवान किया योग करो, रोज करो, मौज करो । पत्रकार बंधुओं से वार्ता करते हुए कहा कि देश के ऊर्जावान प्रधानमंत्री जी ने अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से विश्व के सभी लोगों को एक सन्देश दिया कि योग शांति का प्रतीक है; योग एकता का प्रतीक है; योग दिलों को जोड़ता है; योग सब को जोड़ता है और अब समय आ गया है आतंकवाद नहीं अध्यात्मवाद ही शांति का मार्ग है और योग उसके लिए सबसे बेहतर रास्ता है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से वीडियों कांफ्रेंस के माध्यम से रूबरू होने के पश्चात परमार्थ गंगा घाट योगी-मोदी, आई लव मोदी को नारों से गुंजायमान होने लगा । प्रतिभागी अपने हाथों में रुद्राक्ष के पौधें लेकर उन्हें भेंट करने के लिए उत्मुक हो उठे ।

आज प्रातः काल की शुरुआत कैलफोर्निया, अमेरिका से आये गुरूशब्द सिंह खालसा द्वारा कुंडलिनी साधना का अभ्यास कराया गया । तत्पश्चात संदीप देसाई द्वारा अष्ठांग योग, डॉ. इंद्रा शर्मा द्वारा पारम्परिक हठ योग आसान एवं सूर्य नमस्कार तथा कनाडा से आई ग्लोरिया लैथम द्वारा ‘ आपका अंतःकरण एवं अंतःकरण की आकांक्षाएं विषय पर कुंडलिनी योग की कक्षा सम्पन्न हुई ।

अल्पाहार के पश्चात कैलिफोर्निया, अमेरिका की गुरुमुख कौर खालसा द्वारा कुंडलिनी योगासन की कक्षाओं सम्पन्न की गयी । तुर्की के मर्ट गूलर ने सूफी ध्यान का अभ्यास कराया एवं आयरलैंड के ब्रियान सिद्धार्थ इंग्ले ने सोमेटिक के बारे में जानकारी दी ।

कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका के प्रसिद्ध योगी टौमी रोजेन ने ‘चेतना का विषमयकारी क्षेत्र’ विषय पर चर्चा करते बताया, ‘अक्रिय अनुभूतियाँ जीवित दबी रह जाती हैं जो भविष्य में व्यक्ति के स्वस्थ्य एवं प्रसन्नता के लिए उत्साहवर्धक सिद्ध होती है । कैलेण्डर में यदिinhe अक्रिय अवस्था में ही छोड़ दिया जाता है इस कारन विभिन्न प्रकार के भावनात्मक एवं भौतिक लक्षण प्रकट होने लगते है जो व्यक्ति के लिए नुकसानदायक हो सकते है यदि उसे उपचार की प्रक्रिया में स्थापित नहीं किया जाता ‘।

प्रातः ११ बजे आध्यात्मिक संवाद श्रंखला सम्पन्न हुई जिसमें पर्यावरणविद लेखिका डॉ वंदना शिवा ने ‘आध्यात्मिक मितव्ययिता’ विषय पर तथा पूज्य शंकराचार्य स्वामी दिव्यानंद तीर्थ जी महाराज ने ‘चेतना का प्रसार’ विषय पर अपने उद्बोधन व्यक्त किया ।

दोपहर के सत्र में, बाली इंडोनेशिया से आई डॉ आंद्रिया पेज ने ‘गैर-अनुवांशिक प्रभाव’ पर प्रकाश डाला तथा माँ ज्ञान सवेरा ने रेकी का अभ्यास कराया । कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका से आई कीर्तन-मण्डली द्वारा भव्य कीर्तनशाला का आयोजन किया गया । कीर्तन के इस कार्यक्रम में भारतीय संगीत की पारंपरिक गगयां शैली का पश्चिम की बहुवड्या संगीत उपकरणों के साथ सम्मिश्रण देखने को मिला ।

दोपहर के बाद के सत्र में, ओड़क योग के संस्थापक रोबर्ट मिलेती द्वारा शोल्डर ब्लिस, भूतपूर्व राज नाईक एवं कंबोडिया में भारत के राजदूत चंद्रमोहन भंडारी एवं चार्ट सिंह द्वारा योगमुद्रा के माध्यम से चिकित्सा एवं स्वस्थ लाभ, का अभ्यास कराया गया । जन योग की कक्षा का सञ्चालन ऋषिकेश के आनंद मेहरोत्रा द्वारा किया गया । कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका की क्रिस्टिना ओल्सन ने हेवेन बॉन्ड हर्ट की कक्षा में योग का अभ्यास कराया ।

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