दुनिया भर के अड़तालीस देशों से आए योग जिज्ञासुओं में भारतीय ऋषिप्रणीत योग विज्ञानं, अध्यात्म और संस्कृति की चिंतन धाराओं को सिखने की ललक गंगा तटों पर जगह-जगह दिखाई पड़ रही है । परमार्थ निकेतन परिसर में छ: स्थानों पर लग रही विशेषज्ञों की कक्षों में प्रशिक्षणार्थी सफल और सार्थक जीवन की ऋषि प्रदत्त विधाएँ तो सिख ही रहे हैं, साथ ही चिंतन की उत्कृष्टता और आचरण की श्रेष्टता के आध्यात्मिक गुर सिखने की उनकी उत्कण्ठा कदम-कदम पर दृष्टिगोचर हो रही है ।  प्रतिभागियों ने भारत के जाने-माने योग विशारदों तथा योग थैरेपिस्ट्स से शारीरिक स्वस्थता के साथ-साथ योग चिकित्सा की विधाओं का भी ज्ञान सीखा ।

आज योग महोत्सव के तीसरे दिन योग प्रशिक्षण का शुभारम्भ योगिराज विश्वपाल जयंत के पावर प्राणायाम के साथ हुआ । पावर प्राणायाम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से व्यक्तिगत प्राण को कास्मिक प्राण से जोड़ा जाता है । व्यष्टि को समष्टि से जोड़ने की यह प्रकिर्या ही पावर प्राणायाम है । टोमी रोजेन ने ट्विस्टिंग पोस्चर अर्थात गत्यमान आसनों की विशिष्ट कक्षा में दिनचर्या को सुचारू बनाकर शरीर व मन को सकारात्मक तरीके से संचालित करने के उपाय बताए । गत्यमान आसनों के मध्य से शरीर की जड़ता, मोटापा और जकड़न को दूर करने में सफलता है । उन्होंने कहा कि प्रक्रिया विहीन भावनाएं जिन्दा दफ़न रह जाती हैं, कालांतर में वह भावनाएं व्यक्ति के स्वास्थ्य व प्रसन्नता के मार्ग में अवरोध पैदा करती हैं ।

योग थेरैपी को मानस उपचार की संज्ञा देते हुए परमार्थ निकेतन के योग थेरैपिस्ट प्रह्लाद भरद्वाज ने शरीर की स्वच्छ्ता के लिए मन की स्वस्थता को जरुरी बताया । योग की भारतया विधाओं के गूड़ रहस्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि योगिको निरोग तन स्वत: प्राप्त हो जाता है । योगी व्यक्ति वास्तव में मन और तन दोनों से स्वस्थ होता है । योगासन सिखाते हुए अमेरिका की गुरुमुख कौर खालसा ने कुण्डलिनी योग का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया । उन्होंने कहा कि कुण्डलिनी योग से व्यकि की समस्त आतंरिक शक्तियां जागृत हो जाती हैं तथा तात्कालिक निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है । मुंबई िदीपिका मेहता ने अष्टांग योग को राजयोग बताते हुए कहा कि यह आठ अंगों का प्रक्रियाबद्ध योग-संग्रह है । आत सूत्रों में से यदि एक सूत्र का भी पालन ठीक से किया जाए तो शेष सूत्र स्वत: ही साधने लगते हैं ।

बंगलौर से आए डा० एच. एस. अर्जुनने आयंगार योग की व्याख्या करते हुए बताया कि आयंगर योग से शरीर को जल्द लचीला बनाने में सहायता मिलती है, जिससे योग को सम्पूर्णता में सिखने में भारी मदद मिलती है । पद्मश्री भारत भूषण ने सूर्य ध्यान का अभ्यास कराते हुए बताया कि सूर्य इस सृष्ट के प्रत्यक्ष देवता हैं और उनकी ध्यान साधना से आत्मिक विकास के उच्च स्तरों तक पहुंचा जा सकता है । आज भरत शेट्टी, श्री डीपीएस भारद्वाज, डा० अंजना भगत, म ज्ञान सुवीरा, साध्वी आभा सरस्वती, गैब्रिएला बोजिक, हिकारू हशिमोतो एवं किया मिलर ने भी अपनी-अपनी विधाएँ प्रशिक्षार्थियों को सिखाईं ।

परमार्थ निकेतन में योग की विभिन्न धाराओं के प्रशिक्षण के आलावा सत्संग की कक्षाएं भी चलीं । भानपुरा-मध्य प्रदेश के शंकराचार्य श्री दिव्यानंद तीर्थ ने जीवन यात्रा को गंगाजी की यात्रा से जोड़कर योग जिज्ञासुओं को जीवन के कई सूत्र दिए । योग का सहारा लेकर जीवन को सभी प्रकार से बलवान बनने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा “जो हर किश्ती से टकराए उसे तूफान करते हैं, जो तूफानों से टकराए उसे इंसान करते हैं” । उन्होंने कहा कि योग हमें संकीर्णता से बाहर निकालकर म्हणता के साथ पर आगे बढ़ाता है । संकीर्णता के तंग रास्तों से गुजरकर महान बनना कदपि संभव नहीं, क्योंकि महानता सदैव ह्रदय के असीम विस्तार से ही प्राप्प्त होती है । जगद्गुरु शंकराचार्य ने ‘सत्यम परम धीमहि’ की व्याख्या करते हुए सत्य को साक्षात ईश्वर बताया । उन्होंने प्रेम को भैतिक नहीं बारां मेटाफिजिक्स बताया । इस अवसर पर श्री चिदानंद सरस्वती एवं साध्वी भगवती सरस्वती सहित कई आध्यात्मिक हस्तियां भी मौजूद रहीं ।

अद्वैत दर्शन पर प्रकाश डालते हुए जमैका के धर्मगुरु मू-जी एन्थोनी पॉल ने कहा कि हमारे ह्रदय की गहराइयों में कुछ खास है, जिसकी वजह से हम इस पवित्र भूमि की ओर खिंचकर चले आये हैं । इस चीज की अनुभूति-मात्र की जा सकती है, किसी किताब में पड़कर नहीं । गंगा योग की संस्थापक लौरा प्लम्ब ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष श्री स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज के कथनों का उल्लेख करते हुए कहा कि गंगा सदैव देती है और देकर भूल जाती है, हमें भी गंगा की तरह बहना चाहिए । उन्होंने पूर्ण ईश्वरीय समर्पण को सफल योग की संज्ञा दी ।

ब्रेक द नार्मस अर्थात ‘मान्यताओं को मिटाओ’ केसंस्थापक श्री चंद्रेश भरद्वाज ने कहा कि आध्यात्मिकता को पता है कि आपका लगाव महज भ्रम है । ज्ञान इस लगाव से मुक्ति दिलाता है । उन्होंने कहा कि सत्य को छोड़ा नहीं जा सकता, प्रेम से बचा नहीं जा सकता, सौंदर्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती और ईश्वर से इन्कार नहीं  किया जा सकता । उन्होंने सच्चे ज्ञान से जुड़ने की अपील योगार्थियों से की । श्री राधानाथ स्वामी द्वारा ‘प्रेम का योग’ विषय पर प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया गया । देर शाम अमेरिका के आनन्दा जार्ज, वैयासकी दास एवं मैक्सिको के किशोरी द्वारा कीर्तन का कार्यक्रम प्रस्तुतु किया गया ।

कल देर शाम बि. एच. ई. एल. नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक श्री बि० प्रमाद राव के नेतृत्व में अधिकारियों का दल गंगा आरती में भाग लेने परमार्थ निकेतन पहुंचा । भारत सरर के भारी उद्योग मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्री अम्बुज शर्मा तथा बीएचर्इएल हरिद्वार के अधिशासी निदेशक श्री प्रकाश चन्द्र सहित १५ उच्चाधिकारी इस दल में शामिल थे । गंगा आरती में भाग लेने के बाद इन पदाधिकारियों ने श्री स्वामी जी से भेंट वार्ता में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के बारे में भी जानकारी प्राप्त की । सीएमडी ने इन विधाओं का लाभ भारतवर्ष की नौ महारत्न कम्पनियों में से एक भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड परिवार को भी दिलाने की सम्भावनाओं पर चर्चा की ।

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