15वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारम्भ परमार्थ निकेतन में आज विधिवत हुआ । प्रशिक्षणार्थियों ने विश्वविख्यात योग विशारदों से योग विज्ञान की विभिन्न विधाएँ सीखीं । इस विश्वविख्यात कार्यक्रम का आयोजन सन 1999 से किया जा रहा है । फलत: वर्ष-प्रतिवर्ष व्यापक प्रसार की वजह से इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के होने का श्रेय प्राप्त हो गया है । दुनिया के हर कोने से आए योगाचार्यों, शिक्षकों, योग जिज्ञासुओं ने आज की कक्षाओं में भाग लिया । महोत्सव में 48 देशों के 600 से अधिक प्रतिभागी परमार्थ निकेतन आए हैं । रविवार को भारत के गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे व राज्य के मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत भी परमार्थ निकेतन में पहुंचकर योग महोत्सव में शिरकत करेंगे । आगामी 07 मार्च तक प्रतिदिन प्रातः 04 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक कक्षाएं चलेंगी तथा विश्व के देशों से आये 52 योगाचार्य, प्रस्तुतिकर्ता एवं विशेषज्ञों द्वारा योग की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण तीर्थनगरी आये योग जिज्ञासुओं को दिया जायेगा । कुण्डलिनी योग, आयंगार योग, भारत योग, हठयोग, सहजयोग, भक्तियोग, कीर्तन योग, पावर योग, दीप योग, शिन्टोह योग एवं सोमेटिक्स योग के मुख्या विधाएँ प्रशिक्षणार्थी सिख सकेंगे । एक सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम मं जिन विधाओं की ट्रेनिंग दी जाएगी, उनमें 60 से भी अधिक विधाओं के विभिन्न प्रतिरूप शामिल हैं । ध्यान, साधना, राकी, इण्डियन स्पाइसेज की कक्षाओं के अतिरिक्त देश और विदेश से आये कई आध्यात्मिक गुरुओं के विशेष आध्यात्मिक उद्बोधन भी होंगे । सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत नृत्य । संगीत का प्रदर्शन भी होगा, जिसमें हिमालयी गढ़वाल क्षेत्र, उड़िया एवं दक्षिण भारतीय शैलियों पर अधिक फोकस किया जायेगा । आज पहले दिन की सुरुआत प्रातः काल परमार्थ निकेतन की साध्वी आभा सरस्वती के क्रिया योग के साथ हुई । इसके अतिरिक्त एरिका कौफमान द्वारा लीला योग, सूर्य नमस्कार, योगिराज द्वारा पावर योग प्राणायाम, स्वामी योगानंद द्वारा सुक्ष्म योग एवं माँ ज्ञान सुवीरा द्वारा सी०एल० प्लस मेडिटेशन का अभ्यास कराया गया । अमेरिका के हॉलीवुड से आये गुरुमुख कौर खालसा द्वारा कुण्डलिनी योग, मैसूर के योगी अरुण द्वारा आयंगार योग, पद्मश्री भारत भूषण द्वारा भारत योग तथा कैलिफोर्निया की लौरा प्लम्ब द्वारा हनुमान नमस्कार सीरीज का प्रदर्शन किया गया । हनुमान नमस्कार कराते हुए लौरा प्लम्ब ने कहा की वायु का पुत्र होने के कारन हनुमान प्राण शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं । उन्होंने कहा की मन की शक्ति ह्रदय के इस प्रकाश की ओर केन्द्रित करो और उस शक्ति में गहरी श्वांस लो । इस प्रकार अपनी आत्मा को जीवन्त और यथार्थ रूप में महसूस करोगे । विश्वविख्यात सुपर मंडल से आयुर्वेद विशेषज्ञ व योगी बने ईरान के योगी कैमरन नेआज सम्भाषण श्रृंखला शुरू कराई । वह कई पुस्तकों के लेखक हैं तथा उन्हें असंख्य अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में प्रदर्शित किया गया हैं । उन्होंने शरीर, मन व आत्मा के पूर्व विकास हेतु समग्र आयुर्वेद को प्रतिदिन की साधना के साथ समाहित करने पर जोर दिया । योगी कैमरान ने बताया की सख्त व स्वस्थ शरीर के बिना आध्यात्मिक साधना में बड़ी बढ़ाएं आती हैं । आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार भोजन एवं जीवनशैली सभी साधनागत अभ्यासों के लिए आवश्यक है । हम अपने मन पर योग को ठीक से तभी फोकस कर सकते हैं, जब हमारा शरीर इस हद तक स्वस्थ एवं सहनशील हो कि साधना सतत चलती रहे । योगी कैमरान के संवाद के बाद अमेरिका के वैयासकी दास एवं मेक्सिको की योगिनी किशोरी द्वारा भावविभोर भक्तियोग का प्रदर्शन किया गया । दोपहर के समय होने वाली मुख्या क्रियाओं में स्वास्थ्यवर्धन की पवित्र मुद्राओं का प्रदर्शन जर्मनी की योगाचार्य सिद्धि द्वारा किया गया । संतोष का पवित्र क्षेत्र अर्थात लालसा से मुक्त जीवन मूवमेंट, विन्यास एवं कुण्डलिनी योग का प्रदर्शन अमेरिका के टॉमी रोजेन ने किया । पंजाब से आए योग प्रोफ़ेसर डॉ० आर० एस० भोगल ने योग पर व्यावहारिक उद्बोधन दिया । ‘संतोष का पवित्र स्थान’ विषय पर चर्चा करते हुए श्री टॉमी ने बताया की हमें संतोषी बनाने के लिए निरंतर अभ्यास करना चाहिए । संतोष हमारे अंदर अनायास ही नहीं आ जाता । उन्होंने कहा कि एक पहलवान की तरह हम योगी भी संतोष की मांसपेशियों को लचीला बना सकते हैं और बेहतर संतोषी बन सकते हैं । सांयकाल गंगा आरती के बाद सभी योग प्रतिभागियों के लिए गंगा तट पर स्वागत समरोह का आयोजन किया गया । साध्वी भगवती सरस्वती द्वारा आधिकारिक स्वागत भाषण दिया गया । परमार्थ निकेतन के परमधयक्ष एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता श्री स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सभी का गंगा किनारे अभिनन्दन करते हुए महोत्सव की सफलता एवं स्वस्थ व सार्थक जीवन के लिए अपनी सुभकामनाएँ दीं । उन्होंने कहा की योग एकता का, यूनियन का एवं संघबद्धता का सन्देश देता है । हमारे व्यक्तित्व में एकत्व और समत्व का योग हो, यह प्रयास हमें सात दिनों के प्रशिक्षण के दौरान करना है । उन्होंने ‘एक वनें-नेक बनें’ का सन्देश योग जिज्ञासुओं को दिया । मुंबई की दीपा मेहता, जर्मनी की गैबरिला बोजिक आदि ने कहा की अपने घर परमार्थ निकेतन उन्हें ‘अपने घर’ जैसे लगा है औ यहाँ आना ने केवल उनके लिए वरदान की तरह है, बल्कि अपने आप में पुरस्कार भी है । वह अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में भाग लेनाek ख़ास महापर्व मनाने के सामान समझते है । उदघाटन सत्र के दौरान श्री दैवी सम्पद अध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय के ऋषिकुमारों द्वारा भी योग क्रियाओं का प्रदर्शन किया गया । इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी दिव्यानंद तीर्थ जी महाराज, श्री स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज एवं शांतिमाई की विशिष्ट उपस्थिति से सभी को संतों का स्नेह सान्निध्य भी मिलता रहा । परमार्थ प्रवक्ता ने बताया की भारत सरकार के गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे रविवार को अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में भाग लेने के लिए पूर्वान्ह 11.00 बजे परमार्थ निकेतन पहुंचेंगे । श्री शिंदे देश-विदेश से आए योग जिज्ञासुओं को सम्बोधित भी करेंगे ।
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