चलते-चलते अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की यादें किन संज्ञा
महिला सशक्तिकरण दिवस पर वासंती विष्ट सहित कई महिलाऐं हुईं सम्मानित
परमार्थ निकेतन में अयोगजीत सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में अनेक देशों से आए योग साधक आज विदा हो गए। चलते समय सभी ने योग महोत्सव के दौर की अपनी कई यादें संज्ञा किन और अपने-अपने अनुभव संज्ञा किए। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण दिवस के मौके पर मशहूर जागर गायिका वसन्ती विष्ट सहित कुछ महिलाओं को परमार्थ निकेतन के परमध्यक्शा स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने सम्मानित किया।
अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव सकुशल सम्पन्न होने के बाद दुनिया के लगभग 60 देशों से आए योग जिज्ञासु एवं योग प्रशिक्षक परमार्थ निकेतन से विदा हो गए। विदाई की वेला में गंगातट पर अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण दिवस का कार्यक्रम भी मनाया गया, जिसमें उत्तराखंड की ए.ग्रेड कलाकार एवं प्रख्यात जागर गायिका श्रीमती बसंती विष्ट सहित कुछ महिलाओं का सम्मान किया गया। सम्मानित होने वाली महिलाओं में देहरादून की भागीरथी देवी, नई दिल्ली में नारी स्वावलम्बन में सेवारत सविता सक्सेना, अमेरिका की आनंदरा तथा योग विज्ञान का विशव के विभिन्न देशों में विस्तार कर रही महिलाऐं शामिल थीं। अमेरिकी मूल की आनंदरा ने हिंदी में “जय अम्बे जय जगदम्बे” गाय, जिसे देश-विदेश के सभी लोगों ने दुहराया। इस अवसर पर फिक्की के प्रधान निदेशक डॉ. निरंकार सक्सेना, अपर आयुक्त गढ़वाल मंडल डॉ. हरक सिंह रावत सहित कई गण्यमान व्यक्ति मौजूद थे।
इस अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि समाज के निर्माण में नारी शक्ति की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। महिला जगत को सशक्त किए बिना समाज और राष्ट्र का सही व समुचित विकास संभव नहीं है। माँ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वह अपनी संतान को जो चाहे वह बना सकती है। भारत में सदैव नारी शक्ति का स्थान बहुत ऊंचा रहा है, मध्यकाल में उनका यह स्थान प्रभवित हुआ और उसका महत्त्व एवं सम्मान काम हुआ, लेकिन अब समय बदल रहा है। अब नारी समुदाय जाग उठा है और स्वाभिमानी ढंग से उसके समाज के हर क्षेत्र में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया है। आज साईकिल से लेकर हवाई जहाज तक वह चलाती हैं तो सिपाही से लेकर पुलिस महानिदेशक तक, सैनिक से लेकर ब्रिगेडियर व जनरल तक, क्लर्क से लेकर आईएएस तक तथा ग्राम प्रधान से लेकर विधायक, संसद, लोकसभाध्यक्ष, प्रधानमन्त्री व राष्ट्रपति तक उन्होंने अपनी आमद दर्ज करायी है। श्री स्वामी जी ने कहा कि पुरुष समुदाय को नारी समुदाय को उनका उन्चित सम्मान देना ही होगा। नारी शक्ति भी अपनी मर्यादा समझे और अपनी गरिमा को पुनः स्थापित करे।