विश्वविख्यात १५वे अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में अनेक देशों से शामिल होने आए सभी प्रतिभागी आज परमार्थ निकेतन पहुँच गए । उन्होंने महोत्सव की पूर्व संध्या पर आयोजि महाशिवरात्रि के विशेष कार्यक्रम में भाग लिया । विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार से विश्व-प्रतिष्ठित इस लोकप्रिय कार्यक्रम का आयोजन परमार्थ निकेतन वर्ष १९९९ से करता आ रहा है । इस महोत्सव ने अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप ग्रहण कर लिया है । दुनिया के प्रत्येक कोने से योगाचार्य, गुरु, शिष्य, योग जिज्ञासु आदि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए ऋषिकेश आते हैं । इस वर्ष ४६ देशों से ५५० से अधिक प्रतिभागी योग महोत्सव में शिरकत करेंगे ।
आज शाम समस्त प्रतिभागी परमार्थ गंगा तट पर गरिमामयी गंगा आरती से पूर्व शिव रुद्राभिषेक में सम्मिलित हुये । परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती ने इसकी व्याख्या करते हुए बताया की शिव को या तो भगवान के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, अथवा कासिमक नृत्य की मुद्रा अह्वा ध्यान मुद्रा या निराकार शिवलिंग के रूप में । उन्होंने कहा की जब हम नृत्य या योग करते हैं, उस समय भी हम ध्यान कर रहे होते हैं और जब हम ध्यान कर रहे होते हैं, उस समय भी नृत्य कर रहे होते हैं ।इस प्रकार हम चाहें नृत्य कर रहे हों या ध्यान कर रहे हों या अथवा योग कर रहे हों, हमें ईश्वरीय शक्तिके साथ गहराई से जुड़े रहना चाहिए । ईश्वर भक्ति का यह अनन्त यथार्थ नाम उर रूप से परे होता है । जब हम शिव का अभिषेक करते हैं तो यह उनके प्रति हमारी श्रद्धा व समर्पणka प्रतिक होता है ।
अभिसेक और पूजा के बाद उन लोगों के लिए विशेष प्रार्थना की गई जिन्होंने उत्तराखंड की त्रासदी में अपना जीवन, अपने परिवार, अपने घर तथा अपनी जीविका खो दिया है । परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं गैंग एक्शन परिवार के प्रणेता श्री स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस मौके पर कहा की आरती का पावन अवसर दिव्यता का सुखद अवसर होता है । सूर्यास्त के साथ ही पूरी दुनिया मं लोग सुखद क्षण विटने के लिए पबों और क्लबों में जाते हैं, किन्तु हम यहाँ माँ गंगा के तट पर इस सुखद क्षण के लिए इकट्ठा होते हैं । यह पल सात्विकता से भरे होते हैं, और यहाँ का आनंद ६० मिनट के क्षण से कहीं ज्यादा असीम है | उन्होंने कहा की दुनिया के कोने-कोने से पधारे समस्त प्रतिभागियों को बौद्ध-मुद्रा में बैठे व संगीत की लहरों पर हिलते-डुलते देखा जा सका है, मानों आत्मविभोर करने वाले आकर्षक अनुभवों के मायाजाल में यह दुबे हुए हैं । उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा की गंगा आरती में हम ईश्वर को की नाम या रूप में धन्यवाद देते हैं । गंगा माँ पुरे के पुरे दिन दिव्यता से, जीवन के प्रकाश से, अपने अनुग्रह से एवं उपने आशीर्वाद से भीतर तक भिगोती रहती हैं । इस प्रकार आरती में हम अपने प्रेम और त्याग की भावना को ईश्वर के प्रति प्रकट करते हैं ।
आरती के प्रश्चात समस्त प्रतिभागियों ने विश्वविख्यात नृत्यांगना श्रीमती शर्मीला भरतरी एवं उनके साथ विभिन्न स्कूलों की बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक गीतों एवं नृत्य का आनन्द लिया । यह नृत्य भगवान शिव को समर्पित था । अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाग भारतीय नृत्य की सृजनात्मक प्रवाह एवं अभिव्यक्तियाँ देखकर रोमांचित हो उठे । यूएसए से आए श्री डेविड रोजर्स ने कहा की हम भले ही संस्कृत या हिंदी के शब्द नहीं समझते, किन्तु इसका भाव इतना एवं इतना गंभीर था की हमने इसका भाव अपनी आत्मा और ह्रदय से अनुभव किया है ।
देर शाम महाशिवरात्रि की विशेष पूजा का आयोजन किया गया । कीर्तन एवं अभिषे का कार्यक्रम देर रात्रि तक भी चला । योग महोत्सव की पूर्व संध्या बड़े विस्मयकारी ढंग से हुई, ऐसा कहते हुए कुछ प्रतिभागियों को सूना गया । ब्रिटेन देश से आए चंदानी मिगलिनो ने कहा की रात्रि में काफी देर हो रही थी और हम कई घंटों की लम्बी यात्रा करके आये थे,किन्तु गंगा तट की दिव्यता ऊष्मा से हमारी थकावट मिट गई व अधिक ऊर्जावान हो गये ।
परमार्थ प्रवक्ता ने बताय की ०१ मार्च की सुबह से कक्षायें शुरू हो जायेगी । यह कक्षाएं प्रति:काल 4.00 बजे से 9.30 शाम तक चलेंगी । योग महोत्सव में १७ देशों के ५२ योगाचार्य एवं विशेषज्ञ शामिल होंगे । उन्होंने बताया की कुण्डलिनी योग, आयंगार योग, भारत योग, हठयोग, सहजयोग, भक्तियोग, कीर्तन योग, पावर योग, दीप योग, शिन्तोह योग एवं सोमाटिक्स योग आदि ६० प्रकार के योग के प्रारूपों का प्रशिक्षण योग जिज्ञासुओं को दिया जायेगा । ध्यान, मुद्रा (आसान), रेकी, इंडियन स्पाइसेज आदि की कक्षाएं भी इस बीच होंगी । भारत एवं विशेषों से आये आध्यात्मिक महापुरुषों के आध्यात्मिक सम्भाषण भी महोत्सव के दौरान होंगे । सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन इस अवसर पर किया जायेगा, जिसमें नृत्य व संगीत खासतौर से गढ़वाली, उड़िया एवं दक्षिण भारतीय शैली की प्रमुखता होगी ।
उल्लेखनीय है की अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव वस्तुत: एक विशिष्ट वैशिवक घटना है, जो विभिन्न घरानों के गुरुओं, शिष्यों, संस्कृतियों, एवं देशों को एक पवित्र मंच पर एक साथ एकत्रित करती है । अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के द्वारा देश-विदेश के समस्त क्षेत्रों तथा सभी स्तर के विद्यार्थियों के लिए खुले हैं |